नाज है मुझे

नाज है मुझे मेरे प्यार पर , ना वो बेवफा ना मै बेवफा ….. बस मॉ – बाप के फर्ज ने हमको जुदा किया …….!!

कायम है इश्क

बरसो से कायम है इश्क अपने उसुलो पे.. ये कल भी तकलीफ देता था ये आज भी तकलीफ देता है

वो मेरे पास

वो मेरे पास नहीं मेरे दिल के पास तो है चिराग एक है और दो घरो में जलता हैं

रंग बन कर

सिर्फ़ लहरा के रह गया आँचल रंग बन कर बिखर गया कोई………

प्यास के क़ाबिल

मिला जब भी समुन्दर सा मिला तू मेरी प्यास के क़ाबिल कहाँ था

तसल्ली के लिये

भूखे बच्चों की तसल्ली के लिये माँ ने फिर पानी पकाया देर तक गुनगुनाता जा रहा था इक फ़क़ीर धूप रहती है ना साया देर तक

दुख जमा कर सकते है।

“माँ” एक ऐसी ‘बैंक’ है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है। और “पापा” एक ऐसा ‘क्रेडिट कार्ड’ है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है॥

लोग तरस जाते हैँ

हमारा अंदाज कुछ ऐसा है कि… जब हम बोलते हैँ तो बरस जाते हैँ.. और जब हम चुप रहते हैँ तो लोग तरस जाते हैँ..!!

दिन गुजर जायेगे

सब्र कर बन्दे, मुसीबत के दिन गुजर जायेगे. आज जो तुजे देखके हस्ते है. वो कल तुजे देखते रह जायेगे

मै लिखता हूँ

मै लिखता हु शिकायते तेरी तु पढ़ती है मोहब्बत मेरी॥

Exit mobile version