ख़ुबसूरत था इस

ख़ुबसूरत था इस क़दर के महसूस ना हुआ.. कैसे,कहाँ और कब मेरा बचपन चला गया….

कब तक लफ़्ज़ों की

कब तक लफ़्ज़ों की कारीगरी करता रहूँ… … समझ जाओ ना that I love you

जो सपने हमने

जो सपने हमने बोये थे नीम की ठंडी छाओ में, . कुछ पनघट पर छूट गए कुछ कागज की नाव में.

स्याही की भी

स्याही की भी मंज़िल का अंदाज़ देखिये : खुद-ब-खुद बिखरती है, तो दाग़ बनाती है, जब कोई बिखेरता है, तो अलफ़ाज़…बनाती है…!!

साफ़ दिल से

साफ़ दिल से मुलाक़ात की आदत डलों यारों क्यूँ की घुल हटती है तो अाईने भी चमक उठते है

ज़िन्दगी के हाथ

ज़िन्दगी के हाथ नहीं होते.. लेकिन कभी कभी वो ऐसा थप्पड़ मारती हैं जो पूरी उम्र याद रहता हैं

इस बनावटी दुनिया में

इस बनावटी दुनिया में कुछ सीधा सच्चा रहने दो, तन वयस्क हो जाए चाहे, दिल तो बच्चा रहने दो, नियम कायदो की भट्टी में पकी तो जल्दी चटकेगी, मन की मिट्टी को थोडा सा तो गीला, कच्चा रहने दो|

उमर बीत गई

उमर बीत गई पर एक जरा सी बात समझ में नहीं आई…!! हो जाए जिनसे मोहब्बत,वो लोग कदर क्युँ नहीं करते…..!

गुज़र जायेगा ये

गुज़र जायेगा ये दौर भी ज़रा सा इतमिनान तो रख… जब खुशियाँ ही नही ठहरीं तो ग़म की क्या औक़ात है..

मेरे दिल की ख़ामोशी

मेरे दिल की ख़ामोशी पर मत जाओ दोस्तों, क्यूंकि राख के नीचे अक्सर आग दबी होती है!!

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