छा जाती है

छा जाती है खामोशी अगर गुनाह अपने हों..!! बात दूसरे की हो तो शोर बहुत होता है….!!

सौ बार टूटा दिल

सौ बार टूटा दिल मेरा, सौ बार बिखरी आरजू जिस्म से उड़ चला है परिंदा न जाने कहां जाएगा

आजकल खुद से

आजकल खुद से बात करते हैं …. ये सोचकर कि सुन रहे हो तुम !!

है याद मुलाकत की वो शाम..

है याद मुलाकत की वो शाम… अभी तक… तुझे भूलने में हूँ नाकाम अभी तक|

लफ़्ज़ों में बयाँ करूँ

लफ़्ज़ों में बयाँ करूँ जो तुम्हे , इक लफ्ज़ मुहब्बत ही काफी है|

ज़िन्दगी जब चुप सी रहती है

ज़िन्दगी जब चुप सी रहती है मेरे खामोश सवालो पर… तब दिल की जुबाँ स्याही से पन्नें सजाती है..!!

अब तो परिन्दे भी

अब तो परिन्दे भी इश्क करते है बिजली के तारो पर … पेड़ की ड़ालियाँ अब कहाँ बची है मेरे शहर मे

चले जायेंगे तुझे

चले जायेंगे तुझे तेरे हाल पर छोड़कर,कदर क्या होती है ये तुझे वक़्त सिखाएगा।

मत जियो उसके लिए

मत जियो उसके लिए जो दुनिया के लिए खूबसूरत हो | जियो उसके लिए जो तुम्हारी दुनिया खूबसूरत बनाये|

यूँ ना खींच मुझे

यूँ ना खींच मुझे अपनी तरफ बेबस कर के, ऐसा ना हो के खुद से भी बिछड़ जाऊं और तू भी ना मिले .!

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