सुकून मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतारकर कह भी देता हूँ और आवाज भी नही होती|
Tag: जिंदगी शायरी
तुम जो ये ख्वाब
तुम जो ये ख्वाब साथ लिए सोते हो,यही तो इश्क़ है|
जाऊँ तो कहा जाऊँ
जाऊँ तो कहा जाऊँ इस तंग दिल दुनिया में, हर शख्स मजहब पूछ के आस्तीन चढ़ा लेता है…!
इनसान बनने की फुर्सत
इनसान बनने की फुर्सत ही नहीं मिलती, आदमी मसरूफ है इतना, ख़ुदा बनने में…!
आज फिर बैठे है
आज फिर बैठे है इक हिचकी के इंतज़ार में.. पता तो चले वो हमें कब याद करते है…
रिश्ते की गहराई
रिश्ते की गहराई अल्फाजो से मत नापो.. *सिर्फ एक सवाल सारे धागे तोड़ जाता है…!
रात ढलने लगी है
रात ढलने लगी है बदन थकान से चूर है…. ऐ ख़याल-ए-यार तरस खा सोने दे मुझे…..
अगर फुर्सत मिले तो
अगर फुर्सत मिले तो समझना मुझे भी कभी, तुम्हारी ही उलझनों मे तो उलझा था मैं उम्रभर !!
कभी जो लिखना
कभी जो लिखना चाहा तेरा नाम अपने नाम के साथ अपना नाम ही लिख पाये और स्याही बिखर गई…..
बड़ा अजीब सा
बड़ा अजीब सा जहर था, उसकी यादों का, सारी उम्र गुजर गयी, मरते – मरते…….