काश तुम कभी ज़ोर से

काश तुम कभी ज़ोर से गले लगाकर। कहो डरते क्यों हो पागल। मैं तुम्हारी तो हु।

इस तरह तुमने

इस तरह तुमने मुझे छोड़ दिया जैसे रास्ता कोई गुनाह का हो..

सच तो है तेरा

सच तो है तेरा फितूर बदल गया है मुझसे मुहब्बत का दस्तूर बदल गया है|

प्यार की फितरत भी

प्यार की फितरत भी अजीब है यारों….. जो रुलाते हैं बस उन्हीं को गले लगाकर रोने का दिल करता है।।

ताकत ही नहीं

ताकत ही नहीं,दिल भी लगाइये ये दीवार बनी नहीं,पनपी है।

हर धड़कते पत्थर को

हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में…

प्यार की फितरत भी

प्यार की फितरत भी अजीब है यारों….. जो रुलाते हैं बस उन्हीं को गले लगाकर रोने का दिल करता है।।

कभी जो काटती थी

कभी जो काटती थी नोचती थी शाम से मुझको, कलम से मैं उन्ही तन्हा‌इयों की बात करता हूँ..

उससे खफा होकर

उससे खफा होकर भी देखेंगे एक दिन, कि उसके मनाने का अंदाज़ कैसा है..

तेरे करीब आकर

तेरे करीब आकर बडी उलझन में हूँ, मैं गैरों में हूँ या तेरे अपनो में हूँ !!

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