कभी जो काटती थी नोचती थी शाम से मुझको,
कलम से मैं उन्ही
तन्हाइयों की बात करता हूँ..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कभी जो काटती थी नोचती थी शाम से मुझको,
कलम से मैं उन्ही
तन्हाइयों की बात करता हूँ..