बर्बाद करना था

बर्बाद करना था तो किसी और तरीके से करते। जिंदगी बनकर जिंदगी ही छीन ली।

ना कोई ख्वाहिश..

ना कोई ख्वाहिश.. …….ना कोई आरजू.. थोड़ी बेमतलब सी है जिंदगी.. फिर भी जीना अच्छा लगता है..।

ये तो मोहब्बत थी

ये तो मोहब्बत थी तुमसे जो तेरी बेवफ़ाई बर्दास्त कर गया। ऐ बेवफा वरना तेरे सीने से वो दिल निकाल लेता जो मोहब्बत के काबिल ना था।

वो एक रात जला……

वो एक रात जला……. तो उसे चिराग कह दिया !!! हम बरसो से जल रहे है ! कोई तो खिताब दो .!!!

बहते पानी की तरह

बहते पानी की तरह है फितरत- ए-इश्क, रुकता नहीं,थकता नहीं,थमता नहीं, मिलता नहीं…

सिर्फ नाम लिख देने से

सिर्फ नाम लिख देने से शायरी अपनी नहीं हो जाती, दिल तुड़वाना पड़ता है कुछ दिल से लिखने के लिये !!

छत कहाँ थी

छत कहाँ थी नशीब में, फुटपाथ को जागीर समझ बैठे। गीले चावल में शक्कर क्या गिरी ,बच्चे खीर समाज बैठे।

काश तुम कभी ज़ोर से

काश तुम कभी ज़ोर से गले लगाकर। कहो डरते क्यों हो पागल। मैं तुम्हारी तो हु।

इस तरह तुमने

इस तरह तुमने मुझे छोड़ दिया जैसे रास्ता कोई गुनाह का हो..

सच तो है तेरा

सच तो है तेरा फितूर बदल गया है मुझसे मुहब्बत का दस्तूर बदल गया है|

Exit mobile version