दाव पेंच मालूम है

सब दाव पेंच मालूम है उसको वो बाजी जीत लेता है मेरे चालाक होने तक

याद से जाते नहीं

याद से जाते नहीं, सपने सुहाने और तुम, लौटकर आते नहीं, गुज़रे ज़माने और तुम, सिर्फ दो चीज़ें कि जिनको खोजती है ज़िंदगी, गीत गाने, गुनगुनाने के बहाने और तुम..

तुम बदल जाना..

जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना मुझे पता भी न चले और तुम बदल जाना…!!

आँखों में सूरमा

आँखों में सूरमा, चेहरे पर बुर्क़ा, और मेरा फटा कुर्ता. वाह क्या बात है!

तेरी हर बात पे

काली रातों को भी रंगीन कहा है मैंने तेरी हर बात पे आमीन कहा है मैंने…..

एक से घर हैं

‬एक से घर हैं सभी एक से हैं बाशिंदे अजनबी शहर में कुछ अजनबी लगता ही नहीं

खता मेरी विरासत

अगर बे-ऐब चाहो तो फरिश्तों से निकाह कर लो, … मैं आदम की निशानी हूँ, खता मेरी विरासत है ।

કોઈ અસર નથી

છે આ શરીરની હાજરી ત્યાં સુધી લાગણી વરસાવી દે . . . પછી તસ્વીરને લાગણી ની કોઈ અસર નથી હોતી..

उस खुशी का

उस खुशी का हिसाब कैसे हो… तुम जो पूछ लो “जनाब कैसे हो””

बारिश की तरह

तुम बरस के देखो बारिश की तरह, हम भी महकते रहेंगे मिटटी की तरह !!

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