इश्क़ और तबियत

इश्क़ और तबियत का कोई भरोसा नहीं, मिजाज़ से दोनों ही दगाबाज़ है, जनाब।

उजालो के बावजूद

बड़ी ‘अजीब’ सी है शहरो की रोशनी… उजालो के बावजूद चेहरे ‘पहचानना’ मुश्किल है !!

इज़हार-ए-इश्क

इज़हार-ए-इश्क करो उस से, जो हक़दार हो इसका,, बड़ी नायाब शय है ये इसे ज़ाया नहीं करते…..

तमन्ना बस इतनी

छू ना सकूँ आसमान ना सही सबके दिलों को छू जाऊँ तमन्ना बस इतनी सी है

खुद पे नाज़ करना

खुद पे नाज़ करना तुम्हारा हक़ है.., क्योंकि….. . मैं तो नसीब वालों को ही याद करता हूँ।

वास्ता नहीं रखना

वास्ता नहीं रखना तो नज़र क्यों रखते हो,,, किस हाल में हु जिंदा , खबर क्यों रखते हो… ..!!

एक मशवरा है

बिछड़ने वाले, तेरे लिए एक मशवरा है कभी हमारा ख्याल आए तो अपना ख्याल रखना।

वो जा रहे थे

वो जा रहे थे और मैं खामोश खड़ा देखता रहा, बुज़ुर्गों से सुना था कि पीछे से आवाज़ नही देते……

अब सज़ा दे

अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना, गर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा…

किसी का गम !

हमको ख़ुशी मिल भी गई तो कहा रखेगे हम ! आँखों में हसरतें है तो दिल में किसी का गम !

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