उठा के एडियाँ चलने से कद नही बढता .. मेरे रकीब से कह दो की अपनी हद में रहे…
Category: Shayari
बात होने वाली हे
सास रुक रुक कर आ रही हे मेरी, कुछ बात होने वाली हे, या बहुत दूर जा चूका हे कोई, या मुलाकात होने वाली हे….
मर जाए तो
मर जाए तो बढ़ जाती है इंसान की कीमत .. जिंदा रहे तो जीने की सजा देती है दुनिया.
हमेशा खामोश रहना..
उस जगह हमेशा खामोश रहना…. जहां , दो कौड़ी के लोग ,, अपनी हैसियत के “गुण-गान” गाते हों….।
शादी मे बहू
शादी मे बहू क्या लेकर आयी ये तो सब पुछते है पर कभी ये सोचा वो क्या क्या छोड़ कर आयी है
इज़हार कर गयी…!!
एक मैं था जो थक गया, लफ्ज़ ढूंढ-ढूंढ कर,, एक वो थी जो खरीदे हुए गुलाब देकर इज़हार कर गयी…!!
तुम्हें ग़ैरों से कब
तुम्हें ग़ैरों से कब फुर्सत हम अपने ग़म से कब ख़ाली चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली.
मैं डूबता हूँ
ना जाने किसकी दुआओं का फैज़ है मुझपर, मैं डूबता हूँ और दरिया उछाल देता है..
शर्म आती है
जब कभी खुद की हरकतों पर शर्म आती है ….. चुपके से भगवान को भोग खिला देता हूँ …..
कुछ तो संभाल के
कुछ तो संभाल के रखती , देखो मुझे भी खो दिया तुमने….