किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ.. तू तन्हा मिल गई तो क्या जवाब दूँगा..
Category: Shayari
मेरा और उस चाँद का
मेरा और उस चाँद का मुकद्दर एक सा है…. वो तारों में तन्हा है, मैं हजारों में तन्हा।
हज़ार महफ़िलें हो
हज़ार महफ़िलें हो, लाख मेले हो, जब तक खुद से ना मिलो, अकेले ही हो।
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं
जिम्मेदारियां मजबूर कर देती हैं, अपना “गांव” छोड़ने को !! वरना कौन अपनी गली में, जीना नहीं चाहता ।।
शायर होना भी
शायर होना भी कहाँ आसान है, बस कुछ लफ़जों मे दिल का अरमान है, कभी तेरे ख्याल से महक जाती है मेरी गज़ल, कभी हर शब्द परेशान है….
बिना देखे इतना चाहते हैं
बिना देखे इतना चाहते हैं आपको, बिना मिले सब समझते हैं आपको, ये आँखें जब भी बंद रहें हमारी, बंद आँखों से देख लेते हैं आपको.
हमने सोचा था
हमने सोचा था दो चार दिन की बात होगी पर तेरी यादों से तो उम्र भर का रिश्ता निकल आया…
वो हवा थी
वो हवा थी बहती गई, मैं बारिश था, ज़मीं में समा गया..
बदलना आता नहीं
बदलना आता नहीं हमे मौसम की तरह, हर इक रुत में तेरा इंतज़ार करते हैं, ना तुम समझ सकोगे जिसे क़यामत तक, कसम तुम्हारी तुम्हे हम इतना प्यार करते हैं|
टूटे हुए काँच की तरह
टूटे हुए काँच की तरह चकनाचूर हो गये किसी को लग ना जायें, इसलिए सबसे दूर हो गये…!!!