एक वो दिन

एक वो दिन जब लाखों गम और काल पड़ा है आंसू का, एक वो दिन जब एक जरा सी बात पे नदियां बहती थीं।

ऐ ग़ालिब तू शोर न कर….

ऐ ग़ालिब तू शोर न कर…. रजामंद तुझे भी किया जायेगा…. फरमाईस बता तेरी क्या है पैमाने-जाम तुझे भी दिया जायेगा……..

हवा के हौसले

हवा के हौसले ज़ंजीर करना चाहता है वो मेरी ख़्वाहिशें तस्वीर करना चाहता है|

कर दुनिया की तरफदारी

कर दुनिया की तरफदारी हम , खुद के खिलाफ हो बैठे हैं ।

कोई लफ्ज़ मुहब्बत का

कोई लफ्ज़ मुहब्बत का, बता दे ऐ दोस्त जो फ़रेब की चादर से लिपटा ना हो…..!!

हँसकर कबूल क्या करलीं

हँसकर कबूल क्या करलीं, सजाएँ मैंने……. ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया, हर इलज़ाम मुझ पर लगाने का……

बस इक हवा का फेर है

बस इक हवा का फेर है वो भी #हवा हो जाएगा मैं सोचता रह जाऊँगा मुझ में ये मुझ सा कौन है

अच्छे थे तो किसी ने

अच्छे थे तो किसी ने हाल तक नहीं पूछा……!! बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चर्चे है….

गगन तेरे लिए हूं

गगन तेरे लिए हूं मैं जमी मेरे लिए है तू। हकीकत और ख्वाबों में ख़ुशी मेरे लिए है तू। जमाना बेरहम है पर हकीकत जान ले ये भी, बना तेरे लिए हूं मैं बनी मेरे लिए है तू।

बंधी है हाथ पे

बंधी है हाथ पे सब के घड़ियाँ मगर, पकड़ में एक भी लम्हा नहीं..

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