घोलकर जहर खुद ही

घोलकर जहर खुद ही हवाओं में हर शख्स मुँह छुपाए घूम रहा है|

कुछ इस तरह

कुछ इस तरह लिपटा पड़ा है; तेरा साया मुझसे, सवेरा है फ़िर भी,,मैं अब तक; रात के आग़ोश में गुम हूँ.|

कोई खो के मिल गया

कोई खो के मिल गया तो कोई मिल के खो गया… ज़िंदगी हम को बस ऐसे ही आज़माती रही …!!

मेरी एक छोटी सी

मेरी एक छोटी सी बात मान लो, लंबा सफर है हाथ थाम लो…

जिनकी शायरियो में

जिनकी शायरियो में होती है सिसकिया, वो शायर नहीं किसी बेवफा के दीवाने होते है !

कुछ लोग जी रहे हैं

कुछ लोग जी रहे हैं,शराफ़त को बेचकर, थोड़ी-बहुत शराफ़त उन्हीं से खरीदिये!

अमीर तो हम भी थे

अमीर तो हम भी थे दोस्तों, बस दौलत सिर्फ दिल की थी… खर्च तो बहुत किया, पर गिनती सिर्फ सिक्खों की हुई…….

हमको ख़ुशी मिल भी गई

हमको ख़ुशी मिल भी गई तो कहा रखेगे हम आँखों में हसरतें है तो दिल में किसी का गम

खुबसूरत क्या कह दिया

खुबसूरत क्या कह दिया उनको, के वो हमको छोड़कर शीशे के हो गए तराशा नहीं था तो पत्थर थे, तराश दिया तो खुदा हो गए|

वो जिसका बच्चा

वो जिसका बच्चा आठों पहर से भूखा हो बता खुदा वो गुनाह न करे तो क्या करे|

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