तुम खुद उलझ जाओगे मुझे गम देने की चाहत में, मुझमें हौसला बहूत है मुस्कुराकर निकल जाऊंगा…!!
Category: Sad Bewafa Shayri
ज़िन्दगी तरसती है
कब्रोँ पर यहाँ ताजमहल है…. और एक टूटी छत को ज़िन्दगी तरसती है…….
पूछता हूँ सब से
पूछता हूँ सब से कोई बतलाता नहीं बेबसी की मौत मरते हैं सुख़न-वर किस लिए
इन जज़्बातों पे
इन जज़्बातों पे लम्हो से सबक क्यूँ नही लेते… पता भी नही चलता उम्र दबे पाँव जाती है…
तुम रख ही ना सकीं
तुम रख ही ना सकीं मेरा तोफहा सम्भालकर मैंने दी थी तुम्हे,जिस्म से रूह निकालकर
वो हैं के वफ़ाओं में
वो हैं के वफ़ाओं में खता ढूँढ रहे हैं, हम हैं के खताओं में वफ़ा ढूँढ रहे हैं।
जिसके बगैर एक
जिसके बगैर एक पल भी गुज़ारा नही होता सितम देखिये वही शख्स हमारा नही होता
ना जाने क्यों
ना जाने क्यों रेत की तरह निकल जाते है हाथों से ‘वो लोग ‘ ,जिन्हें जिन्दगी समझ कर हम कभी खोना नही चाहते…..!!!!!
खुद से भी मिल न सको
खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना…!
न जाने किस हुनर को
न जाने किस हुनर को शायरी कहते होगेँ लोग… हम तो वो लिख़ रहे हैँ जो कह ना सके उससे…