कुछ खामोशियाँ भेज रहा हूँ..

कुछ खामोशियाँ भेज रहा हूँ… हो सके तो, कुछ अल्फ़ाज़ भर देना!!

कमबख़्त हर नशा

कमबख़्त हर नशा उतरते देखा वक़्त के साथ… ज़रा बताओ तो किस चीज़ की बनी हो तुम …

अगर कुछ भी

अगर कुछ भी नहीं है हमारे दरमियान, तो ये लंबी ख़ामोशी क्यों है ??

बड़ा मुश्किल है..

बड़ा मुश्किल है..जज़्बातो को पन्नो पर उतारना.. हर दर्द महसूस करना पड़ता है..लिखने से पहले..

मसला एक यह भी है

मसला एक यह भी है, जालिम दुनिया का, कोई अगर अच्छा भी है, तो अच्छा क्यूँ है …

तुम्हारी बेरुख़ी ने

तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाख़ाने की, तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते !!

करलो एक बार

करलो एक बार याद मुझको…. हिचकियाँ आए भी ज़माना हो गया

रात भर भटका है

रात भर भटका है मन मोहब्बत के पुराने पते पे चाँद कब सूरज में बदल गया पता नहीं चला|

कत्ल कर के

कत्ल कर के तो सब ले जाएंगे दिल मेरा , कोई बातों से ले जाए तो क्या बात है|

इलाज़ ना ढूंढ

इलाज़ ना ढूंढ इश्क़ का वो होगा ही नहीं… इलाज़ मर्ज़ का होता है इबादत का नहीं|

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