तन्हा थी और हमेशा से तन्हा है

तन्हा थी और हमेशा से तन्हा है जिंदगी, है यही जिंदगी का नाज़ और क्या है जिंदगी|

लौट आओ ना…

लौट आओ ना… और आकर सिर्फ इतना कह दो… मैं भटक गई थी, थी भी तुम्हारी और हूँ भी तुम्हारी ही…।

तेरे वादे तु ही जाने

तेरे वादे तु ही जाने. मेरा तो आज भी वही कहना है , *जिस दिन साँस टूटेगी उस दिन ही तेरी आस छूटेगी|

ह्रदय की आंखो से

ह्रदय की आंखो से प्रभु का दीदार करो… दो पल का है अन्धेरा बस सुबह का इन्तेजार करो.. क्या रखा है आपस के बैर मे मेरे साथियों , छोटी सी है ज़िंदगी बस , हर किसी से प्यार करो.।

रोज़ सहतीं हैं

रोज़ सहतीं हैं जो कोठों पे हवस के नश्तर हम “दरिन्दे” न होते, तो वोह माँए होतीं .. ..

खुब चर्चे हैं

खुब चर्चे हैं खामोशी के मेरी होंठ पर ही जवाब रख लूं क्या|

मैं कुछ दिन से

मैं कुछ दिन से अचानक फिर अकेला पड़ गया हूँ नए मौसम में इक वहशत पुरानी काटती है|

बेवजह दीवार पर

बेवजह दीवार पर इल्जाम है बंटवारे का, कई लोग एक कमरे में भी अलग रहते हैं..!!

पता नहीं कब जायेगी

पता नहीं कब जायेगी तेरी लापरवाही की आदत पागल कुछ तो संभाल कर रख मुझें भी खो देगी वरना..

सब आ जातें हैं

सब आ जातें हैं यूँ ही मेरी ख़ैरियत’ पूछने….!! अगर तुम भी पूछ लो तो यह ‘नौबत’ ही न आए…….।।

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