शाख़ पर रह कर

शाख़ पर रह कर कहाँ मुमकिन था मेरा ये सफ़र, अब हवा ने अपने हाथों में सँभाला है मुझे…

मैं रुठा जो

मैं रुठा जो तुमसे तुमने हमें मनाया भी नहीं , अपनी मोहब्बत का कुछ हक जताया भी नहीं !!

मुहब्बत से तौबा तो कर

मुहब्बत से तौबा तो कर चुके हैं मगर थोडा जहर ला के दे दो आज तबियत उदास है|

हमारी शायरी पढ़ कर

हमारी शायरी पढ़ कर बस इतना सा बोले वो कलम छीन लो इनसे .. ये लफ्ज़ दिल चीर देते है …..

मैं तेरी कोई नहीं

मैं तेरी कोई नहीं मगर इतना तो बता , ज़िक्र से मेरे, तेरे दिल में आता क्या है ..!!

कोशिश तो होती है

कोशिश तो होती है की तेरी हर ख्वाहिश पूरी करूँ, पर डर लगता है की तू ख्वाहिश में मुझसे जुदाई ना माँग ले !!

सच्चा प्यार सिर्फ

सच्चा प्यार सिर्फ वो लोग कर सकते है, जो किसीका प्यार पाने के लिए तरस चुके हो !!

आज फिर देखा है

आज फिर देखा है मुझे किसी ने मोहोब्बत भरी निगाहों से, और एक बार फिर तेरी ख़ातिर मैंने अपनी निगाहें झुका ली…

आख़िरश दौड़ में

आख़िरश दौड़ में वोही जीता उसकी बैसाखियाँ सुनहरी थी|

जरा अपना ध्यान

जरा अपना ध्यान रखना दोस्तो…., सुना है इश़्क इसी मौसम में शिकार करता है|

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