लब ये ख़ामोश रहेंगे

लब ये ख़ामोश रहेंगे ये तो वादा है मेरा कुछ अगर कर दें निगाहें तो ख़फा मत होना|

होती रहती है

होती रहती है आशिकों से इश्क में गलतियाँ. कोई जन्म से हीं मजनू और रांझा नहीं होता

न लौटने की हिम्मत

न लौटने की हिम्मत है.. न सोचने की फुर्सत.. बहुत दूर निकल आए हैं.. तुमको चाहते हुए

मुस्कुराते पलको पे

मुस्कुराते पलको पे सनम चले आते हैं, आप क्या जानो कहाँ से हमारे गम आते हैं, आज भी उस मोड़ पर खड़े हैं, जहाँ किसी ने कहा था, कि ठहरो हम अभी आते हैं..

पूछा है अपने

पूछा है अपने आप से मैं ने हज़ार बार, मुझ को बताओ तो सही क्या चाहते हो तुम…

देखें क़रीब से

देखें क़रीब से भी तो अच्छा दिखाई दे इक आदमी तो शहर में ऐसा दिखाई दे|

कुछ नहीं है

कुछ नहीं है आज मेरे शब्दों के गुलदस्ते में, कभी कभी मेरी खामोशियाँ भी पढ लिया करो…!!

गजल गुनगुनाया करेगी

जब उसको मेरी याद आया करेगी तब वो मेरी गजल गुनगुनाया करेगी उठकर देखेगी कभी तस्वीर मेरी फिर उसे सिने से लगाया करेगी जब भी नजर आएगी मेरी निसानिया उनको दामन मैं छुपाया करेगी बीते दिनों की बीती कहानी छुप छुप के गेरों को बताया करेगी रखा है जो उसने अंधरे मैं “प्रकाश” भूल पर… Continue reading गजल गुनगुनाया करेगी

हुस्न का भाव

हुस्न का भाव अभी और बढ़ेगा, शहर मे यारो दो आशिकों ने, एक ही महबूब को चुन लिया है!

तुमनें हमें अपनों से

तुमनें हमें अपनों से बहुत दूर कर दिया ! चाहत नें तेरी लड़नें को मजबूर कर दिया !! आयी न हाँथ फिर भी तू बस नाचती रही ! कितनों को तुमनें आज बेसहूर कर दिया !!

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