गजल गुनगुनाया करेगी

जब उसको मेरी याद आया करेगी
तब वो मेरी गजल गुनगुनाया करेगी
उठकर देखेगी कभी तस्वीर मेरी
फिर उसे सिने से लगाया करेगी
जब भी नजर आएगी मेरी निसानिया
उनको दामन मैं छुपाया करेगी
बीते दिनों की बीती कहानी
छुप छुप के गेरों को बताया करेगी
रखा है जो उसने अंधरे मैं “प्रकाश”
भूल पर अपनी पछताया करेगी …

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