बस मुस्करा दो..

बस मुस्करा दो.. तबियत ख़ुश हो जाती है मेरी.. सारे शहर में ढूँढ लिया.. हकीम तुम सा नहीं..

काश आंसुओ के

काश आंसुओ के साथ यादे भी बह जाती … तो एक दिन तस्सली से बैठ के रो लेते…

अल्फ़ाज़ चुराने की

अल्फ़ाज़ चुराने की जरूरत ही न पड़ी कभी.., तेरे बेहिसाब ख्यालों ने, बेतहाशा लफ्ज़ दिये..,

मन तो करता है

मन तो करता है कि तुझे पहचानने से भी इंकार कर दूँ…… . . पर क्या करूँ… तू मिले तो अच्छा ना मिले तो और भी अच्छा… पर सुन ! मैं कम अच्छे में भी खुश हूँ….

मेरी बस्ती में

मेरी बस्ती में मज़हब नाम का इक रहता है बूढ़ा, जो मेरे दोस्तों को मेरे घर आने नहीं देता |

हादसोँ के गवाह हम भी हैँ

हादसोँ के गवाह हम भी हैँ, अपने दिल से तबाह हम भी हैँ, जुर्म के बिना सजा ए मौत मिली, ऐसे ही एक बेगुनाह हम भी हैँ..

वो अच्छे हैं

वो अच्छे हैं तो बेहत्तर, बुरे हैं तो भी कुबूल। मिजाज़-ए-इश्क में, ऐब-ए-हुनर नहीं देखे जाते|

मेरे इस दिल को

मेरे इस दिल को तुम ही रख लो,बड़ी फ़िक्र रहती है इसे तुम्हारी..!

वो जो सर झुकाए बैठे हैं

वो जो सर झुकाए बैठे हैं, हमारा दिल चुराए बैठे हैं… हमने कहा हमारा दिल लौटा दो,वो बोली- हम तो हाथो में मेहँदी लगाये बैठे हैं….

रुलाने मे अक्सर

रुलाने मे अक्सर उन्हीँ लोगो का हाथ होता है जो हमेशा कहते है कि तुम हँसते हुए अच्छे लगते हो.

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