गुनाह होता तो

गुनाह होता तो माफ़ी मांग लेता… मैंने तो मोहोब्बत की थी…!!

दिल भी वही है

दिल भी वही है धड़कन भी वही हैं…!!बस सुनने वाले की नीयत बदल गई है…!!

आइना फैला रहा है

आइना फैला रहा है, ये खुदफरेबी का मर्ज़। हर किसी से कह रहा है, आप सा कोई नही।

ख्वाईश दो निवालों की

ख्वाईश दो निवालों की हमे बर्तन की हाजत क्या, फ़खिर अपनी हथेली को ही दस्तरख्वान कहते हैं.!

जो गीत तुमने सुना नहीं

वो जो गीत तुमने सुना नहीं , मेरे उम्र भर का रियाज़ था ..

रात भर भटका है

रात भर भटका है मन मोहब्बत के पुराने पते पे । चाँद कब सूरज में बदल गया पता नहीं चला ।।

रब ने सब्र करने की

रब ने सब्र करने की मुझे तौफ़ीक़ बक्शी है…. अरे जी भर के तड़पाओ शिकायत कौन करता है….

मैं अगर खत्म भी

मैं अगर खत्म भी हो जाऊँ इस साल की तरह… तुम मेरे बाद भी संवरते रहना नए साल की तरह…

बड़ी जल्दी सीख लेता हूँ

बड़ी जल्दी सीख लेता हूँ ज़िन्दगी का सबक, गरीब घर का लड़का हूँ बात बात पे ज़िद नहीं करता |

सिर्फ अपना ही

मोहब्बत तो सिर्फ शब्द है.. इसका अहसास तुम हो.. शब्द तो सिर्फ नुमाइश है.. जज्ब़ात तो मेरे तुम हो..

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