तेरी आवाज़ आज भी

तेरी आवाज़ आज भी मेरे कानों में गूंजा करती है, वो तेरा एक बार का कहना “तुम सिर्फ मेरे हो ..!

मुझे सजा मिली..

ज़िन्दगी मिली भी तो क्या मिली, बन के बेवफा मिली….. इतने तो मेरे गुनाह भी ना थे, जितनी मुझे सजा मिली..

धुप से जल कर

धुप से जल कर मरा है वो, कमबख्त चाँद पर कविताएँ लिखता था..!!

ज़माने के लिए

ज़माने के लिए तो कुछ दिन बाद होली है.. लेकिन मुझे तो रोज़ रंग देती हैं यादें तेरी..!!

घर से निकले हैं

वापसी का तो कोई सवाल ही नहीं साहब .. . ,घर से निकले हैं हम आँसूओं की तरह..

मुझे परखता कौन है।

हालात है..वक़्त है..या खुदा है| ये रह रह के मुझे परखता कौन है।

कहाँ मांग ली थी

कहाँ मांग ली थी कायनात जो इतनी मुश्किल हुई ए-खुदा, सिसकते हुए शब्दों में बस एक शख्स ही तो मांगा था…!!!

इन्तहां लिखी इकरार लिखा

इन्तहां लिखी इकरार लिखा, पल पल का इंतज़ार लिखा, तेरी यादों को दिल में बसा के, हर रोज़ तुझे पैगाम लिखा… सूने सूने तुझ बिन जीवन को, पतझड़ का मौसम लिखा, तेरी यादों के नील गगन में, तन्हा कोई मंज़र लिखा… तुझ बिन चलती इन सांसो को, निष्प्राण कोई जीवन लिखा, मेरे खयालों के हर… Continue reading इन्तहां लिखी इकरार लिखा

फासला नज़रों का

फासला नज़रों का धोखा भी हो सकता है। वो मिले ना मिले तुम हाथ बढ़ा कर देखो|

क्यों कोई मेरा इंतज़ार करेगा

क्यों कोई मेरा इंतज़ार करेगा, अपनी ज़िंदगी मेरे लिए बेकार करेगा, हम कौन सा किसी के लिए ख़ास है, क्या सोच कर कोई हमें याद करेगा !!

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