यारो किसी क़ातिल से

यारो किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो अपने ही गले के लिये तलवार न माँगो |

चुभ गई सीने में

चुभ गई सीने में मेरी,टूटे एहसासों की किर्चियां क्या लिखू दिल टूटने का ,वो हादसा कैसे हुआ !

मैं वो दरिया हूँ

मैं वो दरिया हूँ के हर मौज भंवर है जिसकी, तुमने अच्छा किया मुझसे किनारा करके…

मिट्टी की दीवारों पर

किस मुँह से इल्ज़ाम लगाएं बारिश की बौछारों पर, हमने ख़ुद तस्वीर बनाई थी मिट्टी की दीवारों पर !!

नफरत करनी है

नफरत करनी है तो इस कदर करो की इसके बाद हम मुहबत के काबिल न रहे|

मुहब्बत उठ गयी

मुहब्बत उठ गयी दोनों घरों से…. सुना है एक ख़त पकड़ा गया है…

किसी के होठों पे

किसी के होठों पे रूकी हुई बात बन कर, रात ठहरी हो जैसे|

जरा थमे जो

जरा थमे जो यह तूफां तो हो कुछ अन्दाजा, कहाँ हूँ मैं कहाँ कश्ती, कहाँ किनारा है।

क्या कशिश थी

क्या कशिश थी उस की आँखों में.. मत पूछो. मुझ से मेरा दिल लड़ पड़ा मुझे यही चाहिये…

मुझसे दूर जाते हुए

मुझसे दूर जाते हुए वो खुद को मेरे पास ही छोड़ गये उसे तो बिछड़ने का सलीका भी नही आता|

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