उसने नज़र नज़र में

उसने नज़र नज़र में ही ऐसे भले सुखन कहे मैंने तो उसके पांव में सारा कलाम रख दिया सुखन |

बहुत अजीब हैं

बहुत अजीब हैं ये बंदिशें मुहब्बत की, न उसने क़ैद में रखा न हम फ़रार हुए।

क़त्ल तो मेरा

क़त्ल तो मेरा उसकी निगाहों ने ही किया था, पर संविधान ने उन्हें हथियार मानने से इंकार कर दिया !!

रौनकें कहां दिखाई देती हैं

रौनकें कहां दिखाई देती हैं अब पहले जैसी… . अखबारों के इश्तेहार बताते हैं..कोई त्यौहार आया है…!

आँख की छत पे

आँख की छत पे टहलते रहे काले साए कोई पलकों में उजाले नहीं भरने आया कितनी दीवाली गईं, कितने दशहरे बीते इन मुंडेरों पे कोई दीप ना धरने आया|

फिर उसी की तमन्ना

फिर उसी की तमन्ना, ऐ दिल,तुझे इज़्ज़त रास नहीं…?? मुझ से हर बार नज़रें चुरा लेती है वो, मैंने कागज़ पर भी बना के देखी है आँखे उसकी !!

तन की खूबसूरती

तन की खूबसूरती एक भ्रम है। सबसे खूबसूरत आपकी “वाणी” है। चाहे तो दिल “जीत” ले। चाहे तो दिल “चीर” दे इन्सान सब कुछ कॉपी कर सकता है..! लेकिन किस्मत और नसीब नही..

वास्ता नही रखना

वास्ता नही रखना तो फिर … मुझ पे नजर क्यूं रखते हो … मैं किस हाल में जिंदा हूँ … तुम ये खबर क्यूं रखते हो …

जिसको जो कहना

जिसको जो कहना है कहने दो अपना क्या जाता है, ये वक्त-वक्त कि बात है साहब, सबका वक्त आता है..

टूटते अंधेरो से

टूटते अंधेरो से पूछना रौशनी की हकीकत आफ़ताब बिखर जाते है जब वक़्त पर भूख मिट जाये।

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