फिर यूँ हुआ कि

फिर यूँ हुआ कि सब्र की उँगली पकड़ कर हम.. इतना चले कि रास्ते हैरान हो गए..

शाम का वक्त

शाम का वक्त हो और ‘शराब’ ना हो…!इंसान का वक्त इतना भी ‘खराब’ ना हो..

मैं थक गया था

मैं थक गया था परवाह करते-करते…..जब से लापरवाह हूँ, आराम सा हैं..

अपनी ही एक अदा है..

दर्द की भी अपनी ही एक अदा है…वो भी सिर्फ सहने वालों पर ही फिदा है..

दूर हो जाने की तलब है

दूर हो जाने की तलब है तो शौक से जा बस याद रहे की मुड़कर देखने की आदत इधर भी नही!!

हर मर्ज का इलाज

हर मर्ज का इलाज मिलता नहीं दवाखाने से, अधिकतर दर्द चले जाते हैं सिर्फ मुस्कुराने से..

बाजार सब को तौलता है

बाजार सब को तौलता है अब तराजू में, फन बेचते अपना यहाँ फनकार भी देखे।

दिल की किताब में

दिल की किताब में गुलाब उनका था, रात की नींद में ख्वाब उनका था, कितना प्यार करते हो जब हमने पूछा, मर जाएंगे तुम्हारे बिना ये जवाब उनका था…

बेवजह दीवारों पर

बेवजह दीवारों पर इल्ज़ाम है, बँटवारे का… लोग मुद्दतों से एक कमरे में अलग-अलग रहते है…

हँसकर कबूल क्या करलीं

हँसकर कबूल क्या करलीं, सजाएँ मैंने……. ज़माने ने दस्तूर ही बना लिया, हर इलज़ाम मुझ पर लगाने का……

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