खुदा जाने कौनसा

खुदा जाने कौनसा गुनाह कर बैठे है हम कि,,, तमन्नाओं वाली उम्र में तजुर्बे मिल रहे है|

बस थोड़ी दूर है

बस थोड़ी दूर है घर उनका, कभी होता ना दीदार उनका । मेरी यादों में है बसर उनका, इतफ़ाक या है असर उनका । सहर हुई है या है नूर उनका, गहरी नींद या है सुरुर उनका । पूछे क्या नाम है हुज़ूर उनका, हम पे यूँ सवार है गुरुर उनका । हर गिला-शिकवा मंजूर… Continue reading बस थोड़ी दूर है

जब तक ये दिल

जब तक ये दिल तेरी ज़द में है तेरी यादें मेरी हद में हैं। तुम हो मेरे केवल मेरे ही हर एक लम्हा इस ही मद में है । है दिल को तेरी चाह आज भी ये ख्वाब ख्वाहिश-ऐ- बर में है । मुहब्बत इवादत है खुदा की और मुहोब्बत उसी रब में है।

नशा मुझ में है

नशा मुझ में है और मुझी में है हलचल अगर होता नशा शराब में तो नाच उठती बोतल|

चराग़-ए-तूर

चराग़-ए-तूर जलाओ बड़ा अँधेरा है, ज़रा नक़ाब उठाओ बड़ा अँधेरा है…

दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए

दूसरों पर अगर तब्सिरा कीजिए, सामने आइना रख लिया कीजिए…

तुम्हारे बिन न जाने क्यों

तुम्हारे बिन न जाने क्यों सफ़र अच्छा नहीं लगता बड़ा दिलकश है हर मंजर मगर अच्छा नहीं लगता तुम्हारे बिन न जाने क्यों सफ़र अच्छा नहीं लगता और जमाने भर की सारी नेमतें मौजूद हो लेकिन जमाने भर की सारी नेमतें मौजूद हो लेकिन अगर बेटी ना हो घर में घर अच्छा नहीं लगता…

फूल रखिए ना रखिए

फूल रखिए ना रखिए, किसी की राहों में, .. साहेब पर लबों पे सब के लिए दुआ जरूर रखिए..!!!

ख्वाहिशों को बेलगाम मत छोड़ो।

ख्वाहिशों को बेलगाम मत छोड़ो।ये बाग़ी हो जाएं तो हराम,हलाल,जाएज़,नाजायज़ कुछ भी नहीं देखतीं।

ज्यादा ख्वाहिशें नहीं

ज्यादा ख्वाहिशें नहीं ऐ जिन्दगी तुझसे हमे,,बस तेरा अगला लम्हा पिछले से बेहरतीन हो…

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