हर अल्फाज दिल का

हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो, कोन जाने कोन सी शायरी आखरी हो जाये|

आहिस्ता बोलने का

आहिस्ता बोलने का उनका अंदाज़ भी कमाल था.. कानो ने कुछ सुना नही और दिल सब समझ गया..

हर अल्फाज दिल का

हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो, कोन जाने कोन सी शायरी आखरी हो जाये|

उसने एक बार….

उसने एक बार…. अपनी बाहो में भर कर अपना कहा था मुझको उस दिन से आज तक मैं अपने आप का भी ना हो सका

आशियाने बनें भी

आशियाने बनें भी तो कहाँ जनाब… जमीनें महँगी हो चली हैं और दिल में लोग जगह नहीं देते..!!

हमे कहां मालूम था

हमे कहां मालूम था कि इश्क होता क्या है…बस…. एक ‘तुम’ मिली और जिन्दगी…. मोहब्बत बन गई |

मत पूछो कैसे गुजरता है

मत पूछो कैसे गुजरता है हर पल तुम्हारे बिना, कभी बात करने की हसरत कभी देखने की तमन्ना !!

रात के बाद

रात के बाद सहर होगी मगर किस के लिए हम ही शायद न रहें रात के ढलते ढलते |

बस इतनी सी

बस इतनी सी बात पर हमारा परिचय तमाम होता है ! हम उस रास्ते नही जाते जो रास्ता आम होता है…!!!

जिन्दगी जीने का मजा

जिन्दगी जीने का मजा तब तक जब तक वो जरा अधूरी रही, मौका दूसरा हर किसी के मुकद्दर में हो ये जरूरी नहीं।।

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