अमीरी भी क्या चीज़ है

अमीरी भी क्या चीज़ है कुत्ते, बिल्ली, तोता खुद पालते है और खुद के बच्चे आया पालती है

कितने कमज़ोर है

कितने कमज़ोर है यह गुब्बारे, चंद सासों में फूल जाते है, बस ज़रा सी बुलंदिया पाकर, अपनी औकात भूल जाते है…

जो मांगू वो दे दिया

जो मांगू वो दे दिया कर…ऐ ज़िन्दग़ी …!! तू बस…मेरी माँ की तरह बन जा…

बहता आँसू एक

बहता आँसू एक झलक में कितने रूप दिखाएगा आँख से होकर गाल भिगो कर मिट्टी में मिल जाएगा।।

फिर पलट रही है

फिर पलट रही है सर्दियों की सुहानी रातें … फिर तेरी याद में जलने के ज़माने आये..

इस अनोखी दुनिया का

इस अनोखी दुनिया का, बस यही एक तोहफा है । खूब लुटाया अपनापन, फिर भी जाने क्यों लोग खफा हैं ।

इस स्वार्थी दुनिया मे

इस स्वार्थी दुनिया मे जीना है तो… नींद मे भी पैर हिलाते रहो….!! वर्ना लोग मरा हुआ समझ कर.., जलाने मे देर नही लगाएंगे….!

सच पूछो तो

सच पूछो तो खुशबु भी झूठी लगी मुझे ….. देखा जो मैंने फूल को फूल बेचते …!!

रौनकें कहां दिखाई

रौनकें कहां दिखाई देती हैं, अब पहले जैसी… अखबारों के इश्तेहार बताते हैं, कोई त्यौहार आया है…

वक़्त के साथ

वक़्त के साथ हर कोई बदल जाता है गलती उसकी नहीं जो बदल जाता है बल्कि गलती उसकी है जो पहले जैसा रह जाता है

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