दिल को शोलों से

दिल को शोलों से करती है सैराब।। ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी।।

आया न एक बार भी

आया न एक बार भी अयादत को वह मसीह, सौ बार मैं फरेब से बीमार हो चुका।

उस एक शब के

उस एक शब के सहारे कट रही है हयात, वो एक शब जो तेरी महफिल में गुजार आये।

मिले थे एक अजनबी बनकर….

मिले थे एक अजनबी बनकर…. आज मेरे दिल की जरूरत हो तुम|

आज शाम महफिल सजी थी

आज शाम महफिल सजी थी बददुआ देने की…. मेरी बारी आयी तो मैने भी कह दिया… “उसे भी इश्क हो” “उसे भी इश्क हो”

तेरी ख़ुशी की खातिर

तेरी ख़ुशी की खातिर मैंने कितने ग़म छिपाए….., अगर….,, . मैं हर बार रोता तो सारा शहर डूब जाता….

नाराजगी गैरों से

नाराजगी गैरों से की जाती है अपनों से नहीं, तू तो गैर था हम तो अपने दिल से नाराज़ हैं.!!

कुछ साँपों का काटा

कुछ साँपों का काटा नहीं मांगता पानी रिश्तों को पहनना ज़रा अस्तीन झटककर …..

वक़्त ही कुछ

वक़्त ही कुछ ऐसा आ ठहरा है अब… यादें ही नहीं होतीं याद करने के लिए…

हार जाउँगा मुकदमा

हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था.. जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था…

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