हर शख्स परिंदों का

हर शख्स परिंदों का हमदर्द नही होता मेरे दोस्त, बहुत बेदर्द बेठे है दुनिया में, जाल बिछाने वाले !!

जो बेसब्र ना हो

जो बेसब्र ना हो, तो फिर वो मुहब्बत कैसी…..

सबको फिक्र है

सबको फिक्र है अपने आप को सही साबित करने की..! ज़िन्दगी, जिन्दगी नहीं कोई इल्जाम हो जैसे..!!

उलझे हुए है अपनी उलझनों में

उलझे हुए है अपनी उलझनों में आजकल.. तुम ये न समझना कि अब वो लगाव नही रहा..!!

धडकनो को भी रास्ता दे दीजिये

धडकनो को भी रास्ता दे दीजिये,जनाब, आप तो सारे दिल पर कब्जा किये बैठे है…

हर मर्ज़ का इलाज़

हर मर्ज़ का इलाज़ मिलता था उस बाज़ार में, मोहब्बत का नाम लिया दवाख़ाने बन्द हो गये|

बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना

बस तुम्हेँ पाने की तमन्ना नहीँ रही.. मोहब्बत तो आज भी तुमसे बेशुमार करतेँ हैँ.

अपनी जुबान से

अपनी जुबान से किसी की बुराई मत करो, क्योंकि… बुराइयाँ हमारे अंदर भी हैं,और जुबान दूसरों के पास भी है.!

बूढी आँखे पूछती है

बूढी आँखे पूछती है रात और दिन पढ़े लिखे बेटो से…. किन किताबो में लिखा है माँ को तनहा छोड़ दो.

कह दो कोई उन्हें

कह दो कोई उन्हें कि अपना सारा वक्त दे दें मुझे, जी नहीं भरता मेरा जरा जरा सी मुलाकातों से !

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