ना जीत पे अपनी दम्भ करो ना हार पे मेरी तंज़ कसो , जो धूल हवा से उड़ी है फिर से मिटटी में मिल जायेगी..!!
Category: वक़्त शायरी
लोग ही बिछड़ गए
“क्या लिखूँ , अपनी जिंदगी के बारे में. दोस्तों. वो लोग ही बिछड़ गए. ‘जो जिंदगी हुआ करते थे !!
हुए बदनाम मगर
हुए बदनाम मगर फिर भी न सुधर पाए हम….. फिर वही शायरी, फिरवही इश्क, फिर वही तुम..फिर वही हम…..
कोई प्यासा दिखे तो
आंधियों से न बुझूं ऐसा उजाला हो जाऊँ, वो नवाज़े तो जुगनू से सितारा हो जाऊँ, एक क़तरा हूँ मुझे ऐसी फितरत दे भगवन’ कोई प्यासा दिखे तो दरिया हो जाऊ…!!!
जिसकी साँसे भी
उस ‘गरीब’ की ‘उम्मीदें’ क्या होंगी ..! जिसकी ‘साँसे’ भी ‘गुब्बारों’ में बिकती हैं…
Ab tum mujhe
Ab tum mujhe yaad nahi aty.. Ab tum mje yaad ho gaye ho..
यादों की संदूक में
तेरी यादों की संदूक में ….. मैं दबा पड़ा हूँ किसी पुराने खत की तरह !!
भगवान मेरे साथ है
जब मुझे यकीन है के भगवान मेरे साथ है तो इस से कोई फर्क नहीं पड़ता के कौन कौन मेरे खिलाफ है।।” तजुर्बे ने एक बात सिखाई है… एक नया दर्द ही… पुराने दर्द की दवाई है…! हंसने की इच्छा ना हो… तो भी हसना पड़ता है… कोई जब पूछे कैसे हो…?? तो मजे में… Continue reading भगवान मेरे साथ है
वक़्त के नाखून
वक़्त के नाखून, बहुत गहरा नोचते हैं दिल को तब जाके कुछ ज़ख्म, तजुर्बा बनके नज़र आते हैं…
मैं अक्सर अपनी
मैं अक्सर अपनी पेंसिल की नोक तोड़ दिया करता था..| क्योंकि क्लास में शार्पनर लाने वाली वो अकेली लड़की थी..