ईश्वर जिन्हे खून के रिश्ते में बाँधना भूलजाता है उन्हें दोस्त बना देता है ……..
Category: वक़्त शायरी
हवा के हौसले
हवा के हौसले ज़ंजीर करना चाहता है वो मेरी ख़्वाहिशें तस्वीर करना चाहता है|
किसी दिन प्यास के बारे में
किसी दिन प्यास के बारे में उससे पूछिये… जिसकी कुएँ में बाल्टी रहती है रस्सी टूट जाती है…!
दरख्ते नीम हूँ मैं
दरख्ते नीम हूँ मैं, मेरे नाम से घबराहट तो होगी … छाँव ठंडी ही दूँगा, बेशक पत्तों में कडवाहट तो होगी ….
जिंदगी पर बस
जिंदगी पर बस इतना ही लिख पाया हूँ मैं… बहुत मजबूत रिश्ते थे मेरे,,, पर बहुत कमजोर लोगों से…
तेरे ख्याल में
तेरे ख्याल में ही गुजर गयी…… वो जो उम्र बड़े काम कि थी…
कर दुनिया की तरफदारी
कर दुनिया की तरफदारी हम , खुद के खिलाफ हो बैठे हैं ।
कहीं धब्बा न लग जाये
कहीं धब्बा न लग जाये तेरी बंदानवाजी पर, मुझे भी देख मुद्दत से तेरी महफिल में रहते है।
कोई लफ्ज़ मुहब्बत का
कोई लफ्ज़ मुहब्बत का, बता दे ऐ दोस्त जो फ़रेब की चादर से लिपटा ना हो…..!!
हज़ार दर्द हों सीने में
हज़ार दर्द हों सीने में फिर भी हँस देना सभी के बस का ये कमाल थोड़ी है