वो अब भी आती है ख्वाबों में मेरे, ये देखने की मैं उसे भूला तो नहीं !!
Category: व्यंग्य शायरीमौसम शायरी
तुम जरा सी
तुम जरा सी कम खूबसूरत होती, तो भी बहोत खुबसूरत होती !!
तू जिस दिन
तू जिस दिन करेगा याद मेरी मोहब्बत को, बहुत रोयेगा उस दिन खुद को बेवफा कह के !!
कभी पास बैठ कर
कभी पास बैठ कर गुजरा तो कभी दूर रह कर गुजरा, लेकिन तेरे साथ जितना भी वक्त गुजरा बहुत खूबसूरत गुजरा|
जहाँ गुंजाइशें हों
जहाँ गुंजाइशें हों वहीँ प्यार ठहरता है…. आज़माइशें अक़्सर रिश्ते तोड़ देती है !!
लोग रूप देखते हैं
लोग रूप देखते हैं, हम दिल देखते हैं; लोग सपना देखते हैं, हम हकीकत देखते हैं; बस फर्क इतना है कि लोग दुनिया में दोस्त देखते हैं; हम दोस्तों में दुनिया देखते हैं।
इस क़दर आँखो से
इस क़दर आँखो से दरिया की रवानी हो गई दर्द के बादल उठे धरती भी पानी हो गई हाथ पीले कर नहीं सकती ग़रीबी क्या करे बाप बूढ़ा और बेटी सयानी हो गई|
ख़ामोशियाँ जब चीखने लगें..
ख़ामोशियाँ जब चीखने लगें.. तो समझो ज़िंदगी रक़ीब हो चली है ख़ुद की|
हमे कहां मालूम था
हमे कहां मालूम था कि इश्क होता क्या है…? बस…. एक ‘तुम’ मिली और जिन्दगी…. मोहब्बत बन गई
आसमां में उड़ने की
आसमां में उड़ने की चाह रखने वाले.. कभी जमी पर गिरने की परवाह नहीं करते !!