सुनो तुम चाहो तो अपने हाथों से संवार देना बाल बिखरा के भेजी है हमारी तस्वीर हमने|
Category: व्यंग्य शायरीमौसम शायरी
नही छोड़ी कमी
नही छोड़ी कमी किसी भी रिश्ते को निभाने में मैंने कभी… आने वाले को दिल का रास्ता भी दिया और जाने वाले को रब का वास्ता भी दिया…!!!
क़ुर्बानी देनी ही है
क़ुर्बानी देनी ही है तो अपने ऐबों की दो.. इन मासूम जानवरों को मार कर जन्नत नसीब नहीं होगी..
यूँ रुलाया ना कर
यूँ रुलाया ना कर जिंदगी हर बात पर., जरूरी तो नहीं की…. हर किसी की किस्मत में चुप कराने वाला भी हो !!
दिल भी न जाने
दिल भी न जाने किस किस तरह ठगता चला गया, . कोई अच्छा लगा और बस लगता चला गया..!!