कुछ रिश्तों में

“कुछ रिश्तों में शक्कर कम थी …. कुछ अंदर से हम कड़वे थे ।।

होगी जरूर फूंक की

होगी जरूर फूंक की भी कुछ कीमत, वरना, बांसुरी तो बहुत सस्ती मिलती है …।।

लफ़्ज़ मैने भी

लफ़्ज़ मैने भी चुराए है कई जगह से कभी तेरी मुस्कान से कभी तेरी बेरुखी से|

जब किसी की

जब किसी की कमियां भी अच्छी लगने लगे ना,,,, तो मान ही लीजिये,, ये दिल दगाबाजी कर गया…,

मुझसे मौत ने पुछा

मुझसे मौत ने पुछा मै आंऊगीं तो कैसे स्वागत करोगे.. कहा मैने फूल बिछा कर पूछूंगा इतनी देर कैसे लगी….?

वक़्त सबको मिलता है

वक़्त सबको मिलता है जिंदगी बदलने के लिये पर जिंदगी दोबारा नहीं मिलती वक़्त बदलने के लिये।

वक्त सिखा देता है

वक्त सिखा देता है इंसान को फ़लसफ़ा जिंदगी का फिर नसीब क्या-लकीर क्या-और तकदीर क्या

बस यही सोचकर

बस यही सोचकर मैं शिकवा नहीं करता…!!! हर कोई तो यहाँ पर वफ़ा नहीं करता….

दर्द का क्या है

दर्द का क्या है, जरूरी नहीं चोट लगने पर होता है। दर्द वहाँ अक्सर दिखता है, जहाँ दिल में अपनापन होता है।।

तुम बस अपने दिल को

तुम बस अपने दिल को संभालो साहब … कहीं मेरे अल्फ़ाज़ तुम्हें दिल का मरीज़ ना बना लें…

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