अपनी हालत का खुद को

अपनी हालत का खुद को एहसास नहीं है मुझको….मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं…..!!!!

वो बुलंदियाँ भी

वो बुलंदियाँ भी किस काम की जनाब,, कि इंसान चढ़े और इंसानियत उतर जायें…??

वो बर्फ़ का

वो बर्फ़ का शरीफ टुकड़ा जाम में क्या गिरा.. धीरे धीरे, खुद-ब-खुद शराब हो गया….

जिंदगी क्या हैं

जिंदगी क्या हैं मत पूछो सवर गई तो दुल्हन, बिखर गई तो तमाशा हैं !

सख़्त हाथों से

सख़्त हाथों से भी…. छूट जाती हैं कभी उंगलियाँ…. रिश्ते ज़ोर से नहीं…. तमीज़ से थामे जाते हैं…

रिश्ते होते है

रिश्ते होते है मोतियों की तरह … कोई गिर भी जाये तो झुक के उठा लेना चाहिए ।

कुछ तो बेवफाई हैं

कुछ तो बेवफाई हैं मुझमें भी,, जो अब तक जिंदा हुं तेरे बगैर !

रुकता नही तमाशा

रुकता नही तमाशा रहता है खेल जारी उस पर कमाल देखिए दिखता नही मदारी|

न किसी हमसफ़र

न किसी हमसफ़र ना हमनशीं से निकलेगा, हमारे पाँव का काँटा, हमीं से निकलेगा!

बेबस सी ऑंखें

बेबस सी ऑंखें ढूंढ रही है तुमको.. काश कि इस दुनिया में तुम ही तुम होते|

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