कितने बरसों का सफर यूँ ही ख़ाक हुआ। जब उन्होंने कहा “कहो..कैसे आना हुआ ?”
Category: बेवफा शायरी
अजीब होती हैं
अजीब होती हैं मोहब्बत की राहें भी … रास्ता कोई बदलता है .., मंज़िल किसी और की खो जाती है ..
तुम मुझ पर
तुम मुझ पर लगाओ मैं तुम पर लगाता हूँ, ये ज़ख्म मरहम से नही इल्ज़ामों से भर जायेंगे..
तू लाख दुआ कर
तू लाख दुआ कर ले मुझसे दूर जाने की…. मेरी दुआ भी उसी खुदा से है तुझे करीब लाने की…..
आईना आज फिर
आईना आज फिर रिशवत लेता पकडा गया, दिल में दर्द था ओर चेहरा हंसता हुआ पकडा गया|
कोरे कागज़ सी है..
तन्हाई ठीक कोरे कागज़ सी है.. ये मुझे तेरी तरह; ग़लत साबित नहीं करती|
तू नहीं है
तू नहीं है पर तेरे होने का एहसास अब भी मेरे बिस्तर में बसी हुई है|
क्या बताएँ अपनी
क्या बताएँ अपनी दास्ताँ तुम्हें छोड़ो बात एक दिन पुरानी है…. ज़िस्म के एक हिस्से में दर्द बेझिल और आँख में पानी है|
ख्वाबों में ही
ख्वाबों में ही सही तुम मेरे करीब हो हाँ बेहद करीब |
खुद को समझे वो
खुद को समझे वो लाख मुक्कमल शायद… मुझको लगता है अधूरी वो मेरे बिना|