कांच की गुडिया

कांच की गुडिया ताक में कब तक सजाये रखेंगे, आज नहीं तो कल टूटेगा, जिसका नाम खिलौना है..!!

कौन समझ पाया है

कौन समझ पाया है आज तक हमे… हम अपने हादसों के इकलौते, गवाह हैं…!

क्या करोगे ये जानकर

क्या करोगे ये जानकर कि कितना प्यार करते हैं तुमसे…. . ❊ बस इतना जान लो, कि वो नम्बर तुम्हारा ही था ❊ जो मुझसे पहली बार याद हो पाया था…

काश कोई तो पैमाना होता

काश कोई तो पैमाना होता मोहब्बत नापने का.. तो शान से आते हम तेरे सामने सबुत के साथ..

बचपन मे बाबा के जूते पहन

बचपन मे बाबा के जूते पहन, बडा होने को मचलता था.!”…. साहेबान….. आज महसूस करता हूं कि वो ख्वाहिश कितनी नाजायज थी.

दिल टूटने पर भी जो शख्स

दिल टूटने पर भी जो शख्स आपसे शिकायत तक न करे,, “”उससे ज्यादा मोहब्बत आपको कोई और नहीं कर सकता…!!

बिमार की चाहत है

बिमार की चाहत है, जख्म के भरने की। जख्म की ख्वाहिश है, बिमार के मरने की॥ दोनो भी जुनून से, खेल रहे जुआ। मसल देगी तकदीर को, आपकी दुआ॥

किस्मत वालो को ही

किस्मत वालो को ही मिलती हे पनाह दोस्तों के दिल में। यू ही हर शख्स जन्नत का हक़दार नही होता

बचपन में खेल आते थे

बचपन में खेल आते थे हर इमारत की छाँव के नीचे… अब पहचान गए है मंदिर कौनसा और मस्जिद कौनसा।।

मासूमियत

मासूमियत का इससे पवित्र प्रमाण कहीं देखा है ???? एक बच्चे को उसकी माँ मार रही थी और बचाने के लिये बच्चा माँ को ही पुकार रहा था…

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