पैसे गिनने में उस्ताद हैं ये उंगलियाँ… किसी के आंसू पोंछने में ही क्यूँ बेकार है….??
Category: प्रेणास्पद शायरी
सन्नाटा छा गया
सन्नाटा छा गया बटवारे के किस्से में, जब माँ ने पूछा मै हूँ किसके हिस्से मे|
ज्यादा कुछ नहीं
ज्यादा कुछ नहीं बदला ज़िंदगी में ,,, बस बटुए थोड़े भारी और रिश्ते थोड़े हलके हो गए हैं।
कुछ मीठा सा
कुछ मीठा सा नशा था उसकी झुठी बातों में; वक्त गुज़रता गया और हम आदी हो गये!
मेरी बेफिक्र अदा से
मेरी बेफिक्र अदा से लोगों में गलतफहमी बेहिसाब है, उन्हें क्या मालूम, मेरा वजूद फिक्र पर लिखी गई इक किताब है…!
नाराज क्यों होते हो
नाराज क्यों होते हो चले जायेंगे तुम्हारी जिन्दगी से बहुत दूर…… जरा टूटे हुए दिल के टुकङे तो उठा लेने दो….!!
इश्क क्या जिंदगी देगा
इश्क क्या जिंदगी देगा किसी को दोस्तों ये तो शुरू ही किसी पर मरने से होता है…!!
अधूरी हसरतों का
अधूरी हसरतों का आज भी इलज़ाम है तुम पर,अगर तुम चाहते तो ये मोहब्बत ख़त्म ना होती…
इस शिद्दत से
इस शिद्दत से निभा तु अपना किरदार, कि परदा गीर जाऐ पर तालियाँ बजती रहे |
उसने चुपके से
उसने चुपके से मेरी आँखों पे हाथ रखकर पूछा…..बताओ कौन..??? ..मै मुस्कराकर धीरे से बोला..”जिन्दगी मेरी”