वक़्त के नाखून, बहुत गहरा नोचते हैं दिल को तब जाके कुछ ज़ख्म, तजुर्बा बनके नज़र आते हैं…
Category: प्यारी शायरी
इश्क का दस्तूर
इश्क का दस्तूर तो यही होता है जिसने किया वो बस फना होता है
दो मीठे बोल
प्यार के दो मीठे बोल से खरीद लो हमें.. . . दौलत दिखाई.. . . तो सारे जहान की कम पड़ जाऐगी
अजीब दस्तूर है
अजीब दस्तूर है, मोहब्बत का, रूठ कोई जाता है, टूट कोई जाता है
उसे “बोलने” दो
हर “इसान” अपनी “जुबां” के “पीछे” “छुपा” हुआ है अगर उसे “समझना” है तो उसे “बोलने” दो….!!!”
तेरे क़रीब आकर
तेरे क़रीब आकर उलझनो में हुँ…… पता नही दोस्तो में हुँ या दुशमनो में हुँ…
चल ना सका
पुरक़ैफ बहारें आ ना सकी पुरलुफ़्त नज़ारे हो ना सके दौर ए मय रंगी चल ना सका फ़ितरत के ईशारे हो ना सके आलम भी वही दिल भी वही तक़दीर को लेकिन क्या कहिये हम उनके हैं हम उनके थे पर वो हमारे हो न सके …..
बात वफाओँ की
बात वफाओँ की होती तो कभी ना हारते हम.. खेल नसीबोँ का था भला उसे कैसे हराते.!!
एक तुम हो
एक तुम हो जिस पर दिल आ गया वरना… हम खुद गुलाब हैं किसी और फूल की ख्वाहिश नही करते…
कैसे-कैसे लोग
सर पर चढ़कर बोल रहे हैं, पौधे जैसे लोग, पेड़ बने खामोश खड़े हैं, कैसे-कैसे लोग…..