काश वो आकर कहे, एक दिन मोहब्बत से……!! ये बेसब्री कैसी ? तेरी हूँ, तसल्ली रख…!!
Category: दर्द शायरी
तूने मेरी मोहब्बत की
तूने मेरी मोहब्बत की गहराईयों को समझा ही नहीं ऐ सनम..! तेरे बदन से जब दुपट्टा सरकता था तो हम “अपनी” नज़रे झुका लेते थे..!
ऐ ग़रीबी देख
ऐ ग़रीबी देख रस्ते में हमें मत छोड़ना… ऐ अमीरी दूर रह नापाक हो जाएँगे हम…
मेरे हाथों को मालूम है
मेरे हाथों को मालूम है तुम्हारे गिरेबानों का पता, चाहूं तो पकड़ लूं पर मजा आता है माफ करने में ।
तुम्हारे ख्यालों मै
तुम्हारी बात तुम्हारे ख्यालों मै गुमसुम !! सभी ने देख लिया मुझको मुस्कुराते हुए !!
सितारों की फसलें
सितारों की फसलें उगा ना सका कोई मेरी ज़मीं पे कितने ही आसमान रहे |
करवट बदलने का
करवट बदलने का क्या फायदा, इस तरफ भी तुम, उस तरफ भी तुम……
कई शख्स आये
कई शख्स आये ज़िन्दगी में, पर ज़िन्दगी तुमसे ही थी।
इन मासूम निगाहों को
इन मासूम निगाहों को पहचानती तो होगी न तुम.!! !!.अब इनमे दर्द और अश्कों की वजह सिर्फ तुम हो..
आज फिर चाँद की
आज फिर चाँद की पेशानी से उठता है धुआँ आज फिर महकीं हुई रात में जलना होगा ।