लिखना है मुझे भी,कुछ गहरा सा……जिसे कोई भी पढे, समझ बस तुम सको .
Category: दर्द शायरी
जीते हैं इस आश पर
जीते हैं इस आश पर कि एक दिन तुम आओगे ।। मरते इसलिए नहीं कि तुम अकेले रह जाओगे ।।।
बङा फर्क है
बङा फर्क है,तेरी और मेरी मोहब्बत में..! तू परखता रहा और हमने यकीन में एक उम्र गुजार दी..!!
कौन करता है
कौन करता है वफ़ाओं के तकाज़े तुमसे……? हम तो एक झूठी तसल्ली के तलबगार थे बस….!!
तमाम रात सहर की
तमाम रात सहर की दुआएँ माँगी थीं खुली जो आँख तो सूरज हमारे सर पर था |
भटकता फिर रहा है
भटकता फिर रहा है दिल किनारों की तमन्ना में तुम्हारे इश्क़ में डूबे तो बेड़ा पार हो जाये |
कहा लेकर जाऊ
कहा लेकर जाऊ तुझे……… रात के अँधेरे में ए मेरे गम….?? में तन्हा हूँ मेरे पास ही सोजा…..
मैं तुम्हारे हिस्से की
मैं तुम्हारे हिस्से की बेवफाई करूँगा… तुम मेरे हिस्से की शायरी करना…।।
आदमी के शब्द नही
आदमी के शब्द नही बोलते….! . . उसका वक्त बोलता हे…!!
मैने हर दौर मे
मैने हर दौर मे हर नसल के कातिल देखे! मै मुहबत हुं; मेरी उमर बढी है यारो!