ये ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी है हम-नफ़सो सितारा बन के जले बुझ गए शरर की तरह…
Category: जिंदगी शायरी
यहाँ लोग हैं लुटेरे
ऐ दिल चल छोड अब ये पहरे, ये दुनिया है झूठी यहाँ लोग हैं लुटेरे।।
सौ बार टूटा दिल
सौ बार टूटा दिल मेरा, सौ बार बिखरी आरजू जिस्म से उड़ चला है परिंदा न जाने कहां जाएगा
आजकल खुद से
आजकल खुद से बात करते हैं …. ये सोचकर कि सुन रहे हो तुम !!
मुझे मंज़ूर थे
मुझे मंज़ूर थे वक़्त के हर सितम मगर, तुमसे बिछड़ जाना ये सज़ा कुछ ज्यादा हो गई…
कैसी उलझन बढा रहे हो
हिचकीया दीलाकर ये कैसी उलझन बढा रहे हो आंखे बंद है फिर भी नजर आ रहे हो बस इतना बता दो हमें याद कर रहे हो या अपनी याद दिला रहे हो
सारे मुसाफिरों से
सारे मुसाफिरों से ताल्लुक निकल पड़ा गाड़ी में इक शख्स ने अखबार क्या लिया…
हार जाउँगा मुकदमा
हार जाउँगा मुकदमा उस अदालत में, ये मुझे यकीन था.. जहाँ वक्त बन बैठा जज और नसीब मेरा वकील था…
अजीब हूं मैं
अजीब हूं मैं भी कि अपने आप को गंवाना चाहता हूँ … कि अपने आप से पीछा छुड़ाना चाहता हूँ … !!
दिल गया था
दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता मैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखु|