फ़र्क़ होता है खुदा और फ़क़ीर में; फर्क होता है किस्मत और लकीर में; अगर कुछ चाहो और ना मिले; तो समझ लेना कि कुछ और अच्छा लिखा है तुम्हारी तक़दीर में।
Category: गुस्ताखियां शायरी
ज़रूरत नहीं दोस्तों
शायरी की ज़रूरत नहीं दोस्तों, अनजान है सब यहां इश्क से…. कुछ भी कहो….. सब वाह वाह ही करेंगे !!
तेरी यादें मुझे..
सिसकियाँ लेता है वजूद मेरा ‘गालिब’…, नोंच नोंच कर खा गई तेरी यादें मुझे…।
जिंदा रहने के लिए
जहर … मरने के लिए थोडा सा.. ! लेकिन जिंदा रहने के लिए ……. बहुत सारा पीना पड़ता है
जीभ में एक
जीभ में एक भी हड्डी नहीं होती फिर भी यही जीभ इंसान की सारी हड्डियां तुड़वाने की “ताक़त” रखती हैं..!!
वैसी ही रातें
वैसे ही दिन,वैसी ही रातें,वही रोज़ का फ़साना लगता है… अभी चार दिन नहीं गुजरे,साल अभी से पुराना लगता है..
कोई अल्फ़ाज़ चुरा के
एक शायर के घर चोरी हुई, कोई अल्फ़ाज़ चुरा के ले गया….
तू अन्धा है
ऐ इश्क मै सुना था कि तू अन्धा है .. फ़िर रास्ता मेरे दिल का बताया किसने
दिल्ली की तरह
काश मोहब्बत भी दिल्ली की तरह होती ।,, एक दिन वो करती , एक दिन उसकी सहेली ।।
सिसकियाँ लेता है
सिसकियाँ लेता है वजूद मेरा ‘गालिब’…, नोंच नोंच कर खा गई तेरी यादें मुझे…।