फासलों से अगर..

फासलों से अगर.. मुस्कुराहट लौट आये तुम्हारी… तो तुम्हे हक़ है.. कि तुम… दूरियां बना लो मुझसे….

लिखना है मुझे

लिखना है मुझे भी,कुछ गहरा सा……जिसे कोई भी पढे, समझ बस तुम सको .

काश वो आकर

काश वो आकर कहे, एक दिन मोहब्बत से……!! ये बेसब्री कैसी ? तेरी हूँ, तसल्ली रख…!!

तूने मेरी मोहब्बत की

तूने मेरी मोहब्बत की गहराईयों को समझा ही नहीं ऐ सनम..! तेरे बदन से जब दुपट्टा सरकता था तो हम “अपनी” नज़रे झुका लेते थे..!

मेरे हाथों को मालूम है

मेरे हाथों को मालूम है तुम्हारे गिरेबानों का पता, चाहूं तो पकड़ लूं पर मजा आता है माफ करने में ।

सितारों की फसलें

सितारों की फसलें उगा ना सका कोई मेरी ज़मीं पे कितने ही आसमान रहे |

बारिश में रख दो

बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, कि धुल जाए स्याही, ज़िन्दगी तुझे फिर से लिखने का मन करता है कभी- कभी।।

गलियों की उदासी

गलियों की उदासी पूछती है, घर का सन्नाटा कहता है… इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है..!

मकान बन जाते है

मकान बन जाते है कुछ हफ्तों में, ये पैसा कुछ ऐसा है…और घर टूट जाते है चंद पलो में, ये पैसा ही कुछ ऐसा है..।।

कहाँ मांग ली थी

कहाँ मांग ली थी कायनात जो इतनी मुश्किल हुई ए-खुदा, सिसकते हुए शब्दों में बस एक शख्स ही तो मांगा था…!!!

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