मुमकिन नहीं है

मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए, किस्से लिखना……….!! मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी, महफ़िल सजाना सीख लो…….!!

तू बेइन्तेहा बरस के

तू बेइन्तेहा बरस के तो देख।। मिट्टी का बना हूं, महक उठुंगा।।

तेरी नज़र पे

तेरी नज़र पे भी मुकदमा हो तेरी नज़र तो क़त्लेआम करे…

गरीब बाँट लेते है

गरीब बाँट लेते है ईमानदारी से अपना हिस्सा अमीरी अक्सर इंसान को बेईमान बना देती है|

गहरी नींद का मंज़र

उनकी गहरी नींद का मंज़र भी कितना हसीन होता होगा.. तकिया कहीं.. ज़ुल्फ़ें कहीं.. और वो खुद कहीं…!!

तुम आसमाँ की

तुम आसमाँ की बुलंदी से जल्द लौट आना हमें ज़मीं के मसाइल पे बात करनी है..!

गलियों की उदासी

गलियों की उदासी पूछती है, घर का सन्नाटा कहता है.. इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है..!

याद ही नहीं रहता

याद ही नहीं रहता कि लोग छोड़ जाते हैं.आगे देख रहा था, कोई पीछे से चला गया.

यूँ तो मशहूर हैं

यूँ तो मशहूर हैं अधूरी मोहब्बत के, किस्से बहुत से……………!! मुझे अपनी मोहब्बत पूरी करके, नई कहानी लिखनी

रूह तेरे जिस्म में

उठाइये हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़ तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था

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