बस इतनी दाद देना बाद मेरे मेरी उल्फत की, कि याद आऊँ तो अपने आपको प्यार कर लेना।
Category: गरूर शायरी
काश तू सुन पाता
काश तू सुन पाता खामोश सिसकियाँ मेरी,,, आवाज़ कर के रोना तो मुझे आज भी नहीं आता!
तुम्हारा हर अंदाज़
तुम्हारा हर अंदाज़ अच्छा है ! सिवाय नज़र अंदाज़ करने के !!
ये ज़िंदगी भी
ये ज़िंदगी भी कोई ज़िंदगी है हम-नफ़सो सितारा बन के जले बुझ गए शरर की तरह…
खुश मिज़ाज लोग
खुश मिज़ाज लोग टूटे हुए होते हैं अंदर से… बहुत रोते हैं वो जिनको लतीफे याद रहते हैं…
जब नहीं तुझको यक़ीं
जब नहीं तुझको यक़ीं तो अपना समझता क्यूँ है, रिश्ता रखता है तो फिर रोज़ परखता क्यूँ है !!
उस दुकान का पता
दो जहाँ लिखा हो, साहिब टूटे दिल का काम तसल्ली-बक्श किया जाता हैं..
जुस्तुजू आज भी
पा सकेंगे न उम्र भर जिस को, जुस्तुजू आज भी उसी की है…
ये तो कहिए इस ख़ता की
ये तो कहिए इस ख़ता की क्या सज़ा, ये जो कह दूं के आप पर मरता हूं मैं।।
मैं रुठा जो
मैं रुठा जो तुमसे तुमने हमें मनाया भी नहीं , अपनी मोहब्बत का कुछ हक जताया भी नहीं !!