सपने अपलोड तो तुरंत हो जाते है . . . डाऊनलोड करने मे जिंदगी निकल जाती है……!!!!!!!
Category: व्यंग्य शायरी
सुनो इक बात
सुनो इक बात कहूँ तुमसे रोज़े की तरह फ़र्ज़ हो जाओ मुझ पे
मैं जब किसी
मैं जब किसी गरीब को हँसते हुए देखता हूँ तो यकीन आ जाता है कि खुशियो का ताल्लुक दौलत से नहीं है..
लहजा-ए-यार
लहजा-ए-यार में जहर है बिच्छू की तरह, वो मुझे आप तो कहता है, मगर ‘तू’ की तरह…
बीतता वक़्त
बीतता वक़्त है लेकिन, खर्च हम हो जाते हैं ।
કોઈ અસર નથી
છે આ શરીરની હાજરી ત્યાં સુધી લાગણી વરસાવી દે . . . પછી તસ્વીરને લાગણી ની કોઈ અસર નથી હોતી..
उस खुशी का
उस खुशी का हिसाब कैसे हो… तुम जो पूछ लो “जनाब कैसे हो””
बारिश की तरह
तुम बरस के देखो बारिश की तरह, हम भी महकते रहेंगे मिटटी की तरह !!
जिंदगी उलझी पड़ी है
मैं भूला नहीं हूँ किसी को… मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ……… बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है ….. 2 वक़्त की रोटी ढूंढने में। ….
जन्नत का पता नहीं
लोग कहते हैं ज़मीं पर किसी को खुदा नहीं मिलता,शायद उन लोगों को दोस्त कोई तुम-सा नहीं मिलता……!!किस्मतवालों को ही मिलती है पनाह किसी के दिल में,यूं हर शख़्स को तो जन्नत का पता नहीं मिलता……….!!अपने सायें से भी ज़यादा यकीं है मुझे तुम पर,अंधेरों में तुम तो मिल जाते हो, साया नहीं मिलता……..!!इस बेवफ़ा… Continue reading जन्नत का पता नहीं