मिला जब भी समुन्दर सा मिला तू मेरी प्यास के क़ाबिल कहाँ था
Category: व्यंग्य शायरी
दिल की क्या औकात
जब हम तुझ पे कुरबान हैं तो दिल की क्या औकात
तसल्ली के लिये
भूखे बच्चों की तसल्ली के लिये माँ ने फिर पानी पकाया देर तक गुनगुनाता जा रहा था इक फ़क़ीर धूप रहती है ना साया देर तक
दुख जमा कर सकते है।
“माँ” एक ऐसी ‘बैंक’ है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है। और “पापा” एक ऐसा ‘क्रेडिट कार्ड’ है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है॥
लोग तरस जाते हैँ
हमारा अंदाज कुछ ऐसा है कि… जब हम बोलते हैँ तो बरस जाते हैँ.. और जब हम चुप रहते हैँ तो लोग तरस जाते हैँ..!!
दिन गुजर जायेगे
सब्र कर बन्दे, मुसीबत के दिन गुजर जायेगे. आज जो तुजे देखके हस्ते है. वो कल तुजे देखते रह जायेगे
मै लिखता हूँ
मै लिखता हु शिकायते तेरी तु पढ़ती है मोहब्बत मेरी॥
जिंदगी शुरू होती है
जहाँ से इश्क ख़त्म होता है वहाँ से जिंदगी शुरू होती है।
काश तुम भी
काश तुम भी हो जाओ तुम्हारी यादों की तरह. ना वक़्त देखो, ना बहाना, बस चले आओ…
उसके इंतजार में हूँ
मुद्दतों से उसके इंतजार में हुँ, कही पढ़ लिया था कि सच्ची मोहब्बत लौटकर आती है