मोहब्बत किससे और कब हो जाये अदांजा नहीं होता..! ये वो घर है, जिसका दरवाजा नहीं होता.
Category: वक़्त शायरी
कोई मुझ से
कोई मुझ से पूछ बैठा ‘बदलना’ किस को कहते हैं? सोच में पड़ गया हूँ मिसाल किस की दूँ ? “मौसम” की या “अपनों” की
वो आये या
वो आये या ना आये, उसकी मर्ज़ी है दोस्त, उन राहों को मगर आज़ सज़ा कर देखते हैं.
जितने भी जख्म थे
जितने भी जख्म थे सबको सहलाने आये है, वो माशुक खंजर के सहारे मरहम लगाने आये हैं………..
रूठ जाए तुमसे
रिश्तों में इतनी बेरुख़ी भी अच्छी नहीं हुज़ूर.. देखना कहीं मनाने वाला ही ना रूठ जाए तुमसे..!!
हर दिल से खेलती है
वो बेईमान नेता सी है, हर दिल से खेलती है, मै भोली जनता सा हूँ, हर बार उसीको चुनता हुं!!
तेरे इश्क ने
तेरे इश्क ने सरकारी दफ्तर बना दिया दिल को; ना कोई काम करता है, ना कोई बात सुनता है..”
kitaab hain zindagi
Lamho ki ek kitaab hain zindagi, Saanso aur khyalo ka hissab hai zindagi Kuch jarurate puri kuch khwaishe aduri Bas inhi sawalon ka jawab hain zindagi.
कुछ अलग ही
कुछ अलग ही करना है तो वफा करो दोस्त, वरना मजबूरी का नाम ले कर बेवफाई तो सभी करते है !
जो दुआ न करे
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे.. मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे।। रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर.. ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे।।